May 11, 2020

Open Fagun | khula fagan | scoff song | by kalbeliya gypsy girls and women



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होली त्यौहार के समय सात दिनों तक कालबेलिया जाति की जवान लड़कियाँ, महिलायें पारम्परिक खुला फागण के हंसी-मजाक वाले गीत गाती नृत्य करती व पुरुष चंग, मजीरा बजाते हुए दुकानों, फैक्ट्रियों व घरों से होली की बक्शीश, चन्दा, रुपये आदि ईनाम के तौर पर प्राप्त करते है साथ ही ईनाम देने वालों को फल-फूलने की दुआए देते है. कहते है कि इन गरीबों की दुआओं से रंक भी राजा बन जाता है और यदि ये बद्दुआ दे तो राजा को रंक बनते देर नहीं लगती.
अतीत में कालबेलिया समुदाय की महिलाएं केवल धार्मिक उत्सवों होली या सामाजिक अवसरों जैसे जागरण, शादी के दौरान ही नृत्य करती थीं। नृत्य हर सांस्कृतिक उत्सव का मुख्य हिस्सा है और यह महिलाओं को अपनी अविश्वसनीय कलात्मक प्रतिभा को व्यक्त करने में मदद करता है। छोटी उम्र से ही कालबेलिया लड़कियों ने बड़ों की नकल करके नृत्य करना सीख लिया है, इनका लगभग हर दिन प्रशिक्षण होता है जिससे युवा महिलाओं के रूप में अविश्वसनीय नर्तकियाँ तैयार होती हैं। बड़ी उम्र की अधेड़ महिलाएं आमतौर पर शो के दौरान संगीतकारों के साथ पारंपरिक रेगिस्तानी गीत भी गाती हैं।
गीत और नृत्य कालबेलिया समुदाय के जीवन के पारंपरिक तरीके की अभिव्यक्ति हैं। रंगों का त्योहार होली के दौरान विशेष पारंपरिक नृत्य किए जाते हैं। होली के गीत कालबेलिया के काव्य कौशल को भी प्रदर्शित करते हैं, जो प्रदर्शन के दौरान सहज रूप से गीतों की रचना करने और गाने में सुधार करने के लिए प्रतिष्ठत हैं। पीढ़ी से पीढ़ी तक प्रसारित गीत और नृत्य एक मौखिक परंपरा का हिस्सा हैं, जिसके लिए कोई ग्रंथ या प्रशिक्षण मैनुअल मौजूद नहीं है। कालबेलिया नृत्य अधिक से अधिक प्रसिद्ध हो रहा है क्योंकि यह उनके समुदाय के बाहर भी दिखाया जाने लगा हैं, इसे "सांप के नृत्य" के रूप में भी जाना जाता है।
काली स्कर्ट में महिलाएं एक नागिन की हरकतों की नकल करते हुए झूमती हुई नृत्य करती हैं और पुरुष उनके साथ '' खंजरी '' परक वाद्य यंत्र और '' पूंगी '' बजाते हैं, नर्तकियाँ पारंपरिक टैटू डिजाइन, चांदी और मोतियों से बने आभूषण और चांदी के धागे से समृद्ध परिधान जिनमें छोटे दर्पण, छोटे मोती और सफ़ेद, लाल और पीले रंग मेंसिले पैटर्न होते हैं, से श्रृंगारित होती हे, ये सभी हस्तनिर्मित काले और चमकदार भड़कीले पोशाक होते हैं. रंगों के त्योहार होली के दौरान विशेष पारंपरिक फागण गीत और स्थानीय गालियों से भरे खुला फागण गीत गाये जाते हैं और नृत्य किए जाते हैं।


इन कलाकारों की निष्छल मुस्कराहट के पीछे अनगिनित जख्म, गम भरे होते है फिर भी ये इन्हे कभी चेहरे पर प्रकट नहीं करते, प्रदर्शन के समय आपसे मिली तालियों की गड़गड़ाहट और वाह-वाही से ही ये अपनी गरीबी का दंश भूल जाते हैं.

कोरोनामहामारी में इनके स्थानीय, जिला, राज्य और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सभी स्टेज, शादियों आदि में होने वाले प्रोग्राम बंद हो गये हैं जिससे इनकी रही-सही आर्थिक कमर भी टूट चुकी हैं, सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले सिर्फ और सिर्फ आप ही इनकी आखिरी उम्मीद हैं.

दोस्तों, ये उम्मीद नहीं टूटे इसके लिए इन्हे आप इस चैनल या और किसी अन्य के चैनल पर जब भी देखें तो पसंद आने पर उस चैनल को लाइक, सब्सक्राइब करके ऑल नोटिफिकेशन वाली घंटी बजाना, कॉमेंट करना अपने दोस्तों को शेयर करना नहीं भूलें, आपकी इस छोटीसी मदद को ही ये अपना बड़ा ईनाम समझ कर खुश हो जायेंगे और आपको ढेर सारी दुआऐं देंगे.

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