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Meena Sapera
क्या लिखा है सर वाकई में दिल खुश हो गया और मेरे समाज पर मुझे गर्व होता है कि हम लोग ऐसे डांस को प्रस्तुत करते हैं और लोगों को खुश करते हैं उनका मनोरंजन करते मगर इस दुख की घड़ी में हमारा साथ कोई नहीं दे रहा है और हम लोग जैसे कई कलाकार भूखे मर रहे हैं वह खून के आंसू रो रहे हैं तो आप जितना हो सके यह चीज आप शेयर करें और गवर्नमेंट सरकार से हम लोग वह तो उम्मीद है मगर हमारे साथ अभी कोई खड़ा नहीं हुआ है
REPLY By S P Gehlot प्यारी बहिना,
हौसला-अफजाई के लिए आपका शुक्रिया, कोरोना काल में नई राह, नया सवेरा, नये दोस्त, शुभचिंतक मिलेंगे, इसी उम्मीद के साथ यूट्यूब गूगल बाबा के अनगिनित नियमों की अंगुली थामे, सुने हो चुके अंतहीन पथ पर भुखे-प्यासे पैदल ही कारवा ले कर चल पड़े है, देश के उच्च शिक्षा प्राप्त बेरोजगारों को कभी पकौड़ी तलने की सलाह देने वाले साहब सरकार ने तो अब कह दिया है कि अपने बल-बुते पर आत्मनिर्भर बनो, उम्मीद है कभी तो मंजिल मिलेगी ही. 'चरणीयति चरणीयताह'
आपको अपने समाज की सांस्कृतिक विरासत पर गर्व होना ही चाहिये, आज आपकी इसी नृत्य-गायन की कला को देखने, सीखने, अपनाने के लिये न केवल देश के उच्च जाति वर्ग बल्कि कोसों दुर सात समुन्दर पार से भी इस कला के प्रशंसक आपके चुंबकीय नागपाश में बंधे खींचे यहाँ चले आते है. जब देश के अति महँगे कान्वेंट स्कूलों, कालेजों के वार्षिक प्रोग्राम में वहाँ की छात्राओं द्वारा कालबेलिया नृत्य करने की मात्र घोषणा भर होने से ही पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट, तेज सीटियों के शौर से गूंज उठता है, जबकि अभी तक तो नृत्य शुरू ही नहीं हुआ है, सोचो जब नृत्य की पूर्णता पर चरमआनन्द का प्रसाद पाए क्या स्त्री, क्या पुरुष, युवक-युवतियाँ मदहोश हो कर झूमने नाचने के लिये स्वत: ही विवश हो जाते हैं तब वहा का क्या आलम होता होगा, इस आलम को यदि रजनीश भी देख लेते तो वो इस महान मेडिटेशन ज्ञान के आगे नतमस्तक हुए बिना नहीं रहते, यह सिर्फ नृत्य नहीं सम्पूर्ण योग है, काश यहाँ के योग बाबा को कोई सद्बुद्धि दे कि पेट को अंदर पिचकाने, घी-तेल, पापड़ बड़िये, मिर्च-मसालों के लाखों ग्रामीण गृह उद्योगों को तबाह करने, देश की आर्थिक रीड की हड्डी को खोखला करने की बजाय वे यदि इस नृत्य-योग का संरक्षण करते, बढ़ावा देते तो विदेश में कोई अमीरजादा-जादी उन्हें छोटा सा घास-फूस, बंजर खारे पानी से घिरा टापू तो क्या पूरा अपना भरापुरा देश ही न्योछावर कर देता, उनकी सम्पति लोलुपता की प्यास तृप्त हो जाती और उनकी प्रसिद्धि एक बणिये की बजाय असल योग गुरु के रूप में होती। खैर 'समरथ को नहीं दोष गुसाई'
बरहाल समय का फेर है, आप जैसे खुश-मिजाज, लोगो का तहे-दिल से मनोरंजन करने वाले कलाकारों को ये बड़े-बड़े महलों, किलों, हवेली-कोठी-होटलों वाले, सरकारी उच्चपदो पर बिराजे नेता-अफसर, इवेंट मेनेजमेंट करने वाले, कभी अपने ख़ुशी के पलों, समारोह-उत्सव में बुलाने शामिल करने में अपनी शान में चार चाँद लगे समझते थे आज कोरोना काल में आपके दुःख की घड़ी में आपका साथ देने से कतरा रहें है, कलाकार का परिवार भूखा मर रहा है लेकिन ये कागची पैतरेबाजियों वाला खाना ही खिलाने में लगे हैं, अरे मानवता के ठेकेदारों इन गरीबों की आँखे तो खून के आँसू रो-रो कर मदद की उम्मीद में पथरा गयी है, लेकिन क्या तुम्हारे हृदय भी पाषाण हो गये है जो इनके आंसुओं के सैलाब से भी पिघल नहीं रहे, जो कभी नंगी तलवारों, तीखी किलों के सिरों, काँच के टुकड़ो पर नृत्य करते समय अपने चेहरे पर उस तरह के नृत्य से होने वाले भयानक दर्द की शिकन तक अपने चेहरे पर प्रकट नहीं होने देते थे, आपकी ख़ुशी के लिये इस जहर के प्याले को पी कर भी मुस्कराहट बिखेरते थे वे कलाकार आज की परिस्तिथि में धार-धार रो रहें हैं.
इनकी कला को तुमने बार-बार भुना-भुना कर अपनी तिजोरियाँ भरी थी और इन कलाकारों के हिस्से आये थे चंद सिक्के और खाली मग, प्लेट, नकली सिल्वर-गोल्ड की शिल्डे, जिन्हें कबाड़ी भी नहीं खरीदता और तो और प्रोग्राम के तहत जो रुपये इन पर अवारे जाते थे उस स्त्री धन का भी अधिकतर हिस्सा तुमने गटकने के काम में ले लिया था, कुम्भकरणों अब भी वक्त है नींद से जागो, इनके दुःख में कन्धे से कंधा मिला कर खड़े हो जाओ, अपनी तिजोरियाँ इनके लिये खोल दो क्यूंकि ये ज़िंदा रहे तो वे तिजोरियाँ वापस भरते देर नहीं लगेगी, आप जैसे कला-पारखी समर्थ कद्रदानों से ये गरीब समाज, कलाकार मदद की उम्मीद रखते है, अतः जहां तक हो सके अपने शहर, गाँव, ढाणी में जँहा भी इन्हे देखें-पायें यथासंभव इनकी आर्थिक मदद करने का प्रयास करें ताकि यह लोक नृत्य, लोक गायन, लोक वाद्य कला जीवित रहें। कहते हैं कि "गरीबों की सुनो वो तुम्हारी सुनेगा, तुम एक पैसा दोगे, वो दस लाख देगा"
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Pain and Tears of an Artist |
मेरे YouTube चैनल की उस विडियो पोस्ट का लिंक जिसे पढ़-देख कर प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय नृत्य कलाकार मीना सपेरा ने ज्यादा से ज्यादा शेयर करने की मार्मिक अपील की ताकि कला के आर्थिक समर्थ कद्रदानों तक, राजस्थान गवर्नमेंट, भारत सरकार तक, विदेशी कला मर्मज्ञों तक यह करुण पुकार पहुँच सके, कृपया इसे क्लिक करें, पूरा देंखे, लाइक-सब्स्क्राइप करें, मेरी नयी पोस्टो को सबसे पहले प्राप्त करने के लिये घंटी बजा कर ऑल पर क्लिक करें व अपने दोस्तों को शेयर करना ना भूलें। धन्यवाद
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